आरबीआई ने 21 अक्टूबर से बदल दिए सेविंग अकाउंट के नियम: न्यूनतम बैलेंस और एटीएम उपयोग में बड़े बदलाव

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 21 अक्टूबर 2025 से बचत खातों (Savings Account) से जुड़े कुछ अहम नियमों में बदलाव करने की घोषणा की है। इन नए नियमों का उद्देश्य ग्राहकों को बेहतर सुविधा देना, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना और बैंकिंग सेवाओं को अधिक पारदर्शी बनाना है।


1. न्यूनतम बैलेंस के नियमों में बदलाव

अब तक कई बैंकों में बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर भारी पेनल्टी वसूली जाती थी। उदाहरण के लिए, पहले सार्वजनिक बैंकों में यह सीमा ₹1000 से ₹3000 तक और निजी बैंकों में ₹5000 से ₹10,000 तक थी।

आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब बैंकों को अपने ग्राहकों के लिए अधिक लचीले और उपभोक्ता-हितैषी न्यूनतम बैलेंस विकल्प देने होंगे। इसका मतलब यह है कि ग्राहक अब कम बैलेंस रखकर भी बिना पेनल्टी के अपना खाता चालू रख सकेंगे।

नए नियमों के तहत:

  • ग्रामीण खाताधारकों के लिए न्यूनतम बैलेंस ₹500 तक सीमित किया जा सकता है।
  • शहरी और मेट्रो क्षेत्रों में यह सीमा ₹1000 से अधिक नहीं होगी।
  • कोई भी बैंक ग्राहक से छिपे हुए शुल्क नहीं वसूल सकेगा।

यह निर्णय विशेष रूप से उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जिनकी मासिक आय निश्चित नहीं है या जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।

 


2. एटीएम उपयोग और निकासी नियमों में सुधार

आरबीआई ने एटीएम ट्रांजेक्शन से जुड़े नियमों में भी संशोधन किया है। अब देशभर के सभी बैंकों के लिए एटीएम लेनदेन की सीमा और शुल्क एक समान होंगे।

नए नियमों के तहत:

  • ग्राहकों को हर महीने कम से कम 10 मुफ्त एटीएम निकासी की अनुमति होगी (5 अपने बैंक के एटीएम से और 5 किसी अन्य बैंक के एटीएम से)।
  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मुफ्त लेनदेन की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
  • मुफ्त सीमा पार करने के बाद शुल्क ₹10 से ₹15 प्रति लेनदेन से अधिक नहीं होगा।

इसके अलावा, कैश निकासी सीमा को भी बढ़ाया गया है — अब ग्राहक एक बार में ₹25,000 तक नकद निकाल सकेंगे (पहले ₹20,000 की सीमा थी)।
आरबीआई का कहना है कि यह कदम डिजिटल और नकद दोनों माध्यमों से बैंकिंग को संतुलित करने की दिशा में है।


3. ग्राहक सेवा को और बेहतर बनाने के निर्देश

आरबीआई ने बैंकों को ग्राहक सेवा को और मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। अब हर बैंक को:

  • 24×7 टोल-फ्री हेल्पलाइन और चैट सपोर्ट उपलब्ध कराना होगा।
  • शिकायत दर्ज करने और निपटाने के लिए अधिक पारदर्शी प्रणाली लागू करनी होगी।
  • ग्रामीण शाखाओं में ग्राहकों को नए नियमों की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाने होंगे।

आरबीआई का मानना है कि ग्राहक संतुष्टि ही किसी भी बैंक की साख की असली पहचान होती है। इसलिए, नई व्यवस्था के बाद ग्राहक अपने खाते से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान जल्दी पा सकेंगे।

4. डिजिटल बैंकिंग पर जोर

इन बदलावों के साथ, आरबीआई ने डिजिटल बैंकिंग को भी बढ़ावा देने की बात कही है। अब अधिकांश बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मोबाइल ऐप और इंटरनेट बैंकिंग सेवाएं सभी भाषाओं में और सभी उपकरणों पर सुचारू रूप से चलें।
ग्राहक चाहें तो डिजिटल माध्यम से अपने न्यूनतम बैलेंस और एटीएम लिमिट की जानकारी भी तुरंत प्राप्त कर सकेंगे।


निष्कर्ष:

भारतीय रिज़र्व बैंक के ये नए नियम बैंकिंग प्रणाली को अधिक पारदर्शी, सुविधाजनक और आम जनता के अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।

अब न तो छोटे खाताधारकों को भारी पेनल्टी का डर रहेगा, और न ही एटीएम शुल्कों का भ्रम।
21 अक्टूबर 2025 से लागू होने वाले ये बदलाव उन लाखों भारतीयों के लिए राहत लेकर आएंगे जो हर महीने की छोटी बचत से अपना जीवन चलाते हैं।

नई व्यवस्था के साथ, “हर हाथ में बैंकिंग सुविधा” का सपना अब और करीब आ गया है।

Share Link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *