कोलकाता:
हर साल जब मानसून दस्तक देता है, कोलकाता की सड़कें झीलों में बदल जाती हैं। बारिश की कुछ घंटों की बौछारें पूरे शहर की रफ्तार थाम देती हैं। जलभराव, ट्रैफिक जाम, बिजली कटौती और बीमारियाँ – ये अब आम समस्याएं बन चुकी हैं।
आखिर कोलकाता में बारिश इतनी तबाही क्यों मचाती है? क्या कारण हैं? और इससे बचाव के लिए सरकार और आम लोग क्या कर सकते हैं? जानिए इस विशेष रिपोर्ट में।
☔ भारी बारिश के तीन मुख्य कारण
1- मानसून की ताकत
कोलकाता में जून से सितंबर तक दक्षिण-पश्चिम मानसून सक्रिय रहता है। इसी दौरान साल का 75% से अधिक पानी गिरता है। बंगाल की खाड़ी से उठती नमी भरी हवाएं और समुद्री दबाव कोलकाता में मूसलधार बारिश का कारण बनते हैं।
2020 में एक ही दिन में 200 मिमी से अधिक बारिश हुई थी।
2- बढ़ता शहरीकरण
कोलकाता का तेजी से होता विकास अब इसके लिए समस्या बन रहा है। हरियाली और वेटलैंड्स की जगह अब कंक्रीट और इमारतों ने ले ली है।
बीते 20 सालों में 40% आर्द्रभूमियाँ खत्म हो चुकी हैं, जिससे पानी सड़कों पर भर जाता है और नालियों का बहाव धीमा हो जाता है।
3- जलवायु परिवर्तन
IPCC रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के कारण कोलकाता में अचानक होने वाली भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं।
गर्म वातावरण ज्यादा नमी रखता है, जिससे Cloudbursts (तेज बौछार) जैसी घटनाएं आम हो रही हैं।
1980 से अब तक भारी वर्षा वाले दिनों में 15% की वृद्धि हुई है।
🕰️ इतिहास से सबक: पिछले 10 वर्षों की बड़ी घटनाएं
| वर्ष | घटना | बारिश | प्रभाव | 
|---|---|---|---|
| 2007 | साइक्लोन आइला | 150 मिमी | बिजली गुल, हजारों बेघर | 
| 2015 | मानसूनी बाढ़ | 100 मिमी+ | मेट्रो बंद, एयरपोर्ट ठप | 
| 2019 | तेज बारिश | 120 मिमी | स्लम डूबे, रेस्क्यू ऑपरेशन | 
इन घटनाओं ने यह साफ किया कि कोलकाता को सिर्फ पानी से नहीं, सिस्टम की तैयारी की भी जरूरत है।
⚠️ बारिश का सीधा असर
🚧 सड़कों और परिवहन पर असर
- मेट्रो सेवाएं ठप
- ईएम बायपास जैसी सड़कें जलमग्न
- बस, ऑटो और टैक्सी सेवाएं बंद
- हर साल 70% से अधिक सड़कें जलभराव से प्रभावित (KMC रिपोर्ट)
🏥 स्वास्थ्य पर खतरा
- डेंगू और मलेरिया जैसे रोग बढ़ते हैं
- गंदे पानी से त्वचा संक्रमण, हैजा और बुखार की आशंका
- स्लम क्षेत्रों में सबसे ज्यादा असर
💰 आर्थिक नुकसान
- दुकानों और दफ्तरों को लाखों का नुकसान
- मछली पालन और खेती चौपट
- स्थानीय व्यापारियों की आमदनी प्रभावित है
🏛️ सरकार और समुदाय की तैयारी
✅ सरकारी कदम
- KMC ने नए पंपिंग स्टेशन लगाए हैं
- ड्रोन से जलभराव की निगरानी
- हर साल नालों की सफाई
- फ्लड अलर्ट सिस्टम को बेहतर बनाया गया है
🧑🤝🧑 स्थानीय स्तर पर तैयारी
- NGOs द्वारा राहत कार्य और ट्रेनिंग
- मोबाइल ऐप्स से मौसम की जानकारी
- कॉलोनियों में स्वयंसेवक टीमों द्वारा सहायता
🧭 क्या करें जब बारिश हो?
🛡️ सुरक्षा के उपाय
- IMD (मौसम विभाग) की अलर्ट्स पर ध्यान दें
- पानी भरे रास्तों से बचें
- घर की बिजली फिटिंग सुरक्षित रखें
- फ्लैशलाइट, ड्राई फूड, जरूरी दवाइयाँ साथ रखें
🏠 घर की सुरक्षा
- कीमती सामान ऊपर रखें
- गाड़ी ऊँचाई पर पार्क करें
- फ्लड इंश्योरेंस करवाएं
- नालियाँ और रूफ ड्रेन क्लियर रखें
🌿 भविष्य की तैयारी: हरियाली ही हल है
- रेन वॉटर हार्वेस्टिंग अपनाएं
- ग्रीन रूफ और गार्डन सिस्टम को बढ़ावा दें
- ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं
- जल निकासी को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण करें
✍️ निष्कर्ष
कोलकाता की भारी बारिश अब सिर्फ मौसम की घटना नहीं रही, यह एक नियमित संकट बन चुकी है।
जलवायु परिवर्तन, अव्यवस्थित शहरीकरण और पुरानी व्यवस्था मिलकर इसे और भी गंभीर बना रहे हैं।
सरकार कोशिश कर रही है, पर तैयारी में सामूहिक भागीदारी जरूरी है।
हम सबकी छोटी-छोटी कोशिशें मिलकर कोलकाता को एक बाढ़-रोधी और सतत शहर बना सकती हैं।
