जौनपुर के बदलापुर में झोला छाप डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई: स्वास्थ्य विभाग की सख्ती से मचा हड़कंप

जौनपुर जिले के बदलापुर क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग ने झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अरविंद कुमार मिश्रा के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई में कई अवैध क्लीनिकों का खुलासा हुआ, जहां बिना किसी मान्यता या डिग्री के लोग खुलेआम इलाज कर रहे थे।


अवैध क्लीनिकों पर छापेमारी से खुला बड़ा नेटवर्क

सोमवार को सुबह से ही स्वास्थ्य विभाग की टीम बदलापुर के खुटहन रोड, मिर्जापुर मार्ग, और सुल्तानपुर मोड़ सहित कई इलाकों में पहुंची। टीम ने अचानक छापेमारी कर करीब 12 से अधिक क्लीनिकों की जांच की। इनमें से 7 क्लीनिक तुरंत बंद कराए गए, क्योंकि वहां इलाज करने वाले व्यक्ति के पास कोई वैध मेडिकल डिग्री या पंजीकरण प्रमाणपत्र नहीं था।

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कुछ झोला छाप डॉक्टर न केवल आम बीमारियों का इलाज कर रहे थे, बल्कि इंजेक्शन और एंटीबायोटिक जैसी दवाओं का गलत इस्तेमाल भी कर रहे थे, जो मरीजों की जान के लिए गंभीर खतरा बन सकता था।

सीएमओ डॉ. मिश्रा ने बताया —

“स्वास्थ्य विभाग को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कई लोग डॉक्टर बनकर ग्रामीणों का गलत इलाज कर रहे हैं। इन शिकायतों के आधार पर टीम बनाकर छापेमारी की गई। जो भी बिना अनुमति चिकित्सा कार्य करते पाए गए हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”


झोला छाप डॉक्टरों की पकड़ में आई लापरवाही

जांच के दौरान एक क्लीनिक में पाया गया कि वहां एक व्यक्ति बिना किसी योग्यता के प्रसव (Delivery) का काम कर रहा था। वहीं, दूसरे स्थान पर बिना लैब लाइसेंस के खून की जांच की जा रही थी। कुछ क्लीनिकों में एक्सपायर दवाइयाँ, नकली एंटीबायोटिक इंजेक्शन, और फर्जी मेडिकल रिपोर्ट भी बरामद हुईं।

टीम के साथ मौजूद फार्मासिस्ट अधिकारी रामलाल यादव ने बताया कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा —

“ऐसे डॉक्टर न तो मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत हैं, न ही इनके पास किसी मान्यता प्राप्त संस्थान की डिग्री है। फिर भी ये लोगों से पैसे लेकर जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।”


ग्रामीणों को जागरूक करने की पहल

इस कार्रवाई के बाद सीएमओ ने स्थानीय नागरिकों को अपील की है कि वे किसी भी झोला छाप डॉक्टर से इलाज न कराएँ। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लोग कम खर्च या नजदीकी सुविधा के कारण ऐसे तथाकथित डॉक्टरों के पास चले जाते हैं, लेकिन यह अल्पकालिक राहत और दीर्घकालिक खतरा दोनों है।

सीएमओ ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाएँ। पोस्टर और जनसभाओं के माध्यम से लोगों को बताया जाएगा कि —

  • केवल प्रमाणित एमबीबीएस या बीएएमएस डॉक्टर से ही इलाज कराएँ।
  • डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर देखने के बाद ही दवा लें।
  • किसी भी संदिग्ध क्लीनिक की जानकारी तुरंत स्वास्थ्य विभाग या पुलिस को दें।

आगे भी जारी रहेगी कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई केवल शुरुआत है। आने वाले हफ्तों में जिले के मछलीशहर, केराकत और शाहगंज क्षेत्रों में भी इसी तरह की जांच अभियान चलाए जाएंगे।

सीएमओ ने कहा —

“हमारा लक्ष्य न केवल झोला छाप डॉक्टरों को पकड़ना है, बल्कि लोगों को सही इलाज की ओर प्रेरित करना भी है। किसी को भी स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”


जनहित के लिए बड़ा कदम

बदलापुर में हुई यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक महत्वपूर्ण और साहसिक कदम मानी जा रही है। इससे न केवल झोला छाप डॉक्टरों के हौसले पस्त होंगे, बल्कि आम नागरिकों को भी यह संदेश मिलेगा कि सरकार उनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है।

अब उम्मीद की जा रही है कि इन कार्रवाइयों से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और मरीजों को सुरक्षित एवं प्रमाणिक चिकित्सा सुविधाएँ मिल सकेंगी।


निष्कर्ष:
जौनपुर के बदलापुर में हुई यह कार्रवाई केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि जनहित में उठाया गया बड़ा निर्णय है। स्वास्थ्य विभाग ने यह साफ संदेश दिया है कि “फर्जी डॉक्टरों की अब कोई जगह नहीं।”
इससे न केवल स्थानीय स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि लोगों के मन में यह भरोसा भी बढ़ेगा कि उनका जीवन और स्वास्थ्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

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